Saturday, December 7, 2013

डरपोक कमबख्त मर्द

'अब तो लड़कियों से बात करने में भी डर लगने लगा है'
क्यों? क्योंकि वो आपकी घटिया हरकतों, टुच्ची बातों को नजरअंदाज नहीं करती। चीख-चीख कर दुनिया को बता देती है और फिर आपको उन हरकतों को जस्टिफाई करना मुश्किल हो जाता है?
खुद को क्यों नहीं बदल लेते?
कैमरे पर बात आई तो सॉरी भी उसके पीछे-पीछे आ गई,  लेकिन उन बातों का क्या जो रोज गली और नुक्कड़ पर होती हैं (वैसे तो इनसे घर भी अछूते नहीं हैं)। कैमरे के सामने अचानक प्रतिक्रिया नहीं दी जाती। हर पल मन में ऐसी बातें उठती हैं तभी जबान पर आती हैं। घर में ऐसी बातों से ही बीवी, बेटियों को काबू कर रखा है। बात-बात में दूसरों की मां-बहन को गाली देने से आप खुद को चाहे मर्द साबित करते फिरें लेकिन आपके घर की औरतों को मालूम हो जाता है कि आप किस गंदगी में हैं। उनकी मुश्किल ये है कि वे इस बारे में कुछ नहीं कर सकती। छोटा लड़का हो तो मां या बड़ी बहन एक दो बार डांट देंगी लेकिन फिर घर के बाकी पुरुषों के मुहं से धाराप्रवाह गालियां उस डांट को बहा ले जाती हैं। जो बचपन से रवैया बना वो मरते दम तक नहीं जाता। आप चाहे जितना ढोंग कर लें, कही न कहीं आपकी असलियत सामने आ ही जाती है। घर की औरतें इसे ढका-छुपाकर रखती है लेकिन बाहर नहीं चलता। (कम से कम अब नहीं चलता)। अब लड़कियां नहीं डरती आपसे। अब डर आपको लगना चाहिए। ये मत सोचिए कि आपने कुछ बेहूदा हर‌कत की तो कोई अपनी नौकरी, अपनी इज्जत की परवाह कर चुप बैठ जाएगी। आपकी बैंड से बैंड बजा देगी। तो औरतों को सलाह देने से पहले खुद को बदल लो वरना ऐसे ही तुम्हारे चेहरे से नकाब उतरेंगे। जबान की चाबुक पर लगाम लगाएं और अपनी इज्जत बचाएं।