'कोई पिता अपनी बेटी को ऐसी हालत में देखेगा तो आपा खो ही देगा।'
एक घर, चार लोग, दो की हत्या, दो को उम्रकैद
क्यों मारा गया दो लोगों को? किसी के पास कोई पुख्ता जवाब नहीं कि आखिर उस रात को उस कमरे में हुआ क्या था?
दो लोग मर गये तो बाकि बचे दो को सजा। परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर। ठीक बात है। आपके बगल वाले कमरे में हत्या हो जाती है और आपको पता नहीं चलता? कैसे मुमकिन है? फिर कई सबूत आपकी ही तरफ इशारा कर रहे है।
आपने भी अपने बचाव में बड़ी हल्की दलीलें दी (तभी आपको सजा मिली). लेकिन इस मामले की एक थ्योरी गले नहीं उतर रही। (केस के अनुसार आपने अपनी बेटी को नौकर के साथ गलत हालत में देखा तो आपका खून खौल गया और आपने दोनों की हत्या कर दी. लेकिन आपका खून हत्या करते ही शांत हो गया और आपने सारे सबूत मिटाने की कोशिश शुरू कर दी। मिटा भी दिए। नौकर का मोबाइल आज तक नहीं मिला। लड़की का जब मिला पूरा साफ़ किया जा चूका था। वो सर्जिकल ब्लेड नहीं मिला जिससे दोनों के गले काटे गये। वो गोल्फ स्टिक नहीं मिली जिससे सर पर वार किया गया था। लड़की का कमरा क्लीन था, कोई निशान नहीं, चादर पर सिलवटें नहीं थी, प्राइवेट पार्ट्स साफ़ किये गये थे।)
यहीं सारा मामला मेरी नजर में अटकने लगता है। क्या दो हत्याओं का केवल यही कारण हो सकता था?
हो सकता है बेटी को पिता की किसी बात का पता चल गया हो और नौकर ने उसे बेटी की जान लेते देख लिया हो
हो सकता है पिता ने बेटी के साथ कुछ गलत करने की कोशिश की हो और नौकर ने देख लिया हो?
हो सकता है किसी बहस के दौरान गलती से बेटी की हत्या हो गई हो और नौकर ने देख लिया हो? बाद में बेटी के प्राइवेट पार्ट्स को साफ़ कर मामले को भटकाने कि कोशिश की गई हो?
जो लोग अपनी इकलौती बेटी की हत्या के बाद इतने शांत रह सकते हैं, वो कुछ भी कर सकते हैं। इस केस में सबसे हल्की दलील यही थी कि पिता ने बेटी को नौकर के साथ ऐसी हालत में देखा कि आपा खो दिया और दोनों को मार दिया (कई छोटी मानसिकता के लोग सोशल साइट्स पर इसका समर्थन भी कर रहे हैं). कोर्ट ने जो भी फैसला दिया हो, इन लोगों के लिए मरने वाले ही दोषी थे। सही है, अब कुछ भी कहिये, मरने वाले अपने बचाव में कोई दलील पेश नहीं कर सकते।
अब बस एक उम्मीद है कि एक दिन ये दोनों दोषी अपने दिल कि आवाज सुनें और सच्चाई को दुनिया के सामने रखें। तब तक तो बेटी तुम ही कसूरवार हो
एक घर, चार लोग, दो की हत्या, दो को उम्रकैद
क्यों मारा गया दो लोगों को? किसी के पास कोई पुख्ता जवाब नहीं कि आखिर उस रात को उस कमरे में हुआ क्या था?
दो लोग मर गये तो बाकि बचे दो को सजा। परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर। ठीक बात है। आपके बगल वाले कमरे में हत्या हो जाती है और आपको पता नहीं चलता? कैसे मुमकिन है? फिर कई सबूत आपकी ही तरफ इशारा कर रहे है।
आपने भी अपने बचाव में बड़ी हल्की दलीलें दी (तभी आपको सजा मिली). लेकिन इस मामले की एक थ्योरी गले नहीं उतर रही। (केस के अनुसार आपने अपनी बेटी को नौकर के साथ गलत हालत में देखा तो आपका खून खौल गया और आपने दोनों की हत्या कर दी. लेकिन आपका खून हत्या करते ही शांत हो गया और आपने सारे सबूत मिटाने की कोशिश शुरू कर दी। मिटा भी दिए। नौकर का मोबाइल आज तक नहीं मिला। लड़की का जब मिला पूरा साफ़ किया जा चूका था। वो सर्जिकल ब्लेड नहीं मिला जिससे दोनों के गले काटे गये। वो गोल्फ स्टिक नहीं मिली जिससे सर पर वार किया गया था। लड़की का कमरा क्लीन था, कोई निशान नहीं, चादर पर सिलवटें नहीं थी, प्राइवेट पार्ट्स साफ़ किये गये थे।)
यहीं सारा मामला मेरी नजर में अटकने लगता है। क्या दो हत्याओं का केवल यही कारण हो सकता था?
हो सकता है बेटी को पिता की किसी बात का पता चल गया हो और नौकर ने उसे बेटी की जान लेते देख लिया हो
हो सकता है पिता ने बेटी के साथ कुछ गलत करने की कोशिश की हो और नौकर ने देख लिया हो?
हो सकता है किसी बहस के दौरान गलती से बेटी की हत्या हो गई हो और नौकर ने देख लिया हो? बाद में बेटी के प्राइवेट पार्ट्स को साफ़ कर मामले को भटकाने कि कोशिश की गई हो?
जो लोग अपनी इकलौती बेटी की हत्या के बाद इतने शांत रह सकते हैं, वो कुछ भी कर सकते हैं। इस केस में सबसे हल्की दलील यही थी कि पिता ने बेटी को नौकर के साथ ऐसी हालत में देखा कि आपा खो दिया और दोनों को मार दिया (कई छोटी मानसिकता के लोग सोशल साइट्स पर इसका समर्थन भी कर रहे हैं). कोर्ट ने जो भी फैसला दिया हो, इन लोगों के लिए मरने वाले ही दोषी थे। सही है, अब कुछ भी कहिये, मरने वाले अपने बचाव में कोई दलील पेश नहीं कर सकते।
अब बस एक उम्मीद है कि एक दिन ये दोनों दोषी अपने दिल कि आवाज सुनें और सच्चाई को दुनिया के सामने रखें। तब तक तो बेटी तुम ही कसूरवार हो