Tuesday, October 6, 2009

ऐसी बेमतलब की बयानबाजी

कंपनी मामलों के मंत्री खुर्शीद को यह बात नहीं पच रही कि प्राइवेट कंपनियों के अधिकारियों को भारी - भरकम सैलरी मिलती है। योजना आयोग के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ नौकरशाह मोंटेक सिंह अहलूवालिया भी इस मामले में खुर्शीद से इत्तफाक रखते हैं और कहते हैं कि कंपनियों के CEOs को 'Indecent salaries' ( उल - जलूल वेतन ) नहीं दिया जाना चाहिए।

जिम्मेदार पदों पर बैठे इन लोगों से ऐसी बेमतलब की बयानबाजी की अपेक्षा नहीं की जाती। प्राइवेट कंपनी के अधिकारी जो भारी - भरकम सैलरी लेते हैं तो वह पैसा सरकार की जेब से नहीं जाता। यह पैसा उन्हें उनकी काबलियत और योग्यता के आधार पर मिलता है। यह पारिश्रमिक होता है कंपनी के लिए मुनाफा कमाने , कारोबार बढ़ाने और हजारों लोगों को रोजगार देने का। यह पैसे उन्हें अधिसंख्य सरकारी नौकरों की तरह कुर्सी तोड़ने , बेवजह काम लटकाने और जनता के पैसे की बर्बादी करने के लिए नहीं मिलते। यह उनकी मेहनत की कमाई है जिसपर वह पूरा टैक्स चुकाते हैं।

यहां आंकड़े देने की भी जरूरत नहीं है क्योंकि हर नागरिक यह जानता है कि हमारे सांसदों और मंत्रियों पर कितना खर्च होता है। देश को चलाने के नाम पर करोड़ों रुपये संसद में स्वाहा होते हैं लेकिन आम आदमी तक रुपये में दस पैसा भी नहीं पहुंचता। दिल्ली के जिन सरकारी बंगलों में हमारे नेता रहते हैं , वहां जमीन की कीमत अरबों नहीं तो करोड़ों में तो है ही। क्यों नहीं सभी सांसदों - मंत्रियों के लिए बहुमंजिला इमारत बना दी जाए और सबको एक - एक अपार्टमेंट दे दिया रहने के लिए ? ऐसा क्या करते हैं आप जिसके लिए जनता के पैसे की दीवाली मना रहे हैं ? फ्री में चलो , फ्री में उड़ो , फ्री में ठहरो। पता है , यह पैसा टैक्स देने वाले की जेब से रहा है ?

कांग्रेस और केंद्र सरकार में सादगी के नाम पर जो तमाशा हो रहा है यह किसी से छिपा नहीं है। लेकिन उसी सरकार के मंत्री फाइव स्टार होटल में रहते हैं। छाती ठोककर कहा कि किसी से मांग नहीं रहे हैं , अपनी जेब से खर्च उठा रहे हैं। तभी फिर एक खुलासा हो गया कि जिन होटलों में माननीय मंत्री ठहरे थे , उनमें सरकारी खर्च पर रहने की मनाही है और इन होटलों के एमपैनलमेंट के लिए कोशिश की गई थी। यानी , यह खुलासा होता तो होटल सरकारी पैनल में जाते और सरकार द्वारा भुगतान करने का अड़ंगा भी खत्म हो जाता। वैसे , अबतक किसी को पता नहीं कि दोनों मंत्रियों ने अपने फाइव - स्टार होटल प्रवास का कितना बिल चुकाया है।

सलमान खुर्शीद ने लोकसभा चुनाव में अपने हलफनामे में 2.61 करोड़ की संपत्ति होने की बात कही थी। खुर्शीद नामी और बेहद कामयाब वकील हैं इसलिए इसमें कोई अनोखी बात नहीं है। केस लड़ने के लिए वह मोटी फीस भी जरूर लेते होंगे। कल को कोई उनसे कहे कि आप तो जन - प्रतिनिधि हैं , आपको पैसे की क्या जरूरत , आप हर केस की फीस सिर्फ दस रुपये लीजिए। लेंगे ? नहीं ! फिर दूसरों को नसीहत क्यों दे रहे हैं। पैसा कमाना तो आदमी का मौलिक अधिकार होना चाहिए। अगर आप किसी गलत तरीके से नहीं कमा रहे हैं तो इसकी सीमा क्यों होनी चाहिए ?

यहां भ्रष्टाचार की तो अभी तक बात भी नहीं छेड़ी गई है। नरेगा में फर्जीवाड़े के नाम पर अरबों रुपये के वारे - न्यारे , सांसद - विधायक निधि में कमीशनखोरी , बड़े - बड़े ठेकों में हिस्सा ... हर सर्वे , हर बहस , हर नुक्कड़ पर सबसे ज्यादा भ्रष्ट की चर्चा हो तो नेताओं को नाम सबसे ऊपर आता है। जन - प्रतिनिधि अब खुद तो धन - प्रतिनिधि बन गए हैं लेकिन कोई और पैसे कमाए यह उनसे बर्दाश्त नहीं।

एक लोकप्रिय म्यूजिक चैनल पर दो अजीब से प्राणी दिखाई देते हैं। इसमें छोटा प्राणी बड़े वाले से चुहल करता नजर आता है और झल्लाकर बड़े को कहना पड़ता है , ' बकवास बंद कर। ' हमारा भी यही कहना है।

2 comments:

  1. जन - प्रतिनिधि अब खुद तो धन - प्रतिनिधि बन गए हैं लेकिन कोई और पैसे कमाए यह उनसे बर्दाश्त नहीं।

    ... nirantar prahaar jaruri hai.

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