Thursday, October 8, 2009
मैं इस सिस्टम से नाराज हूँ
कई बार सिस्टम पर बहुत गुस्सा आता है, आखिर क्यों लोग दुसरो के कंधे पर पैर रखकर आगे बढ़ना चाहते हैं. अगर आपको आगे जाना है तो भाई अपने दम पर जाओ किसने मना किया है...... तुम काम भी नहीं करना चाहते मगर आगे भी जाना है तो बताओ ऐसा कैसे हो सकता है.... ऑफिस में भी कुछ लोग ऐसे है जो काम तो करते नहीं बस आगे जाना है.... नालायक लोग.. मेरे साथ ऐसा हो तो मुझे इतना दुःख नहीं होता, मगर जब मेरे दोस्तों के साथ ऐसा होता है तो मुझसे सहन नहीं होता... कोई दब रहा है और आप उसे और ज्यादा दबा रहे हैं, ये कहाँ का न्याय है यार.... कुछ तो सोचो उसके बारे में भी जो दिन रात काम करता है और सोचता है की उसे उसके काम का फल मिलेगा लेकिन होता क्या है... काम कोई करे और बोनस कोई और ले जाये..... ये सिस्टम गन्दा है, बहुत गन्दा, मगर मैं कुछ नहीं कर सकती..... सिर्फ ब्लॉग लिखने के.... लेकिन ये भी तो एक साधन ही है....
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yadi aap nishchhal mann ke praani hain to system aapko hamesha taqleef dega.Ye bana hi un logon ko peedit karne ke liye hai jo kaam ke prati samarpit hain.Theek kaha tumne...par haarna nahi hai...agar ek insaan ka bhi soch badal diya to samjho ek parivaar ki soch badal di tumne...yadi nahi to laat maarna seekho...par saath mein vikal bhi ...rakho ...sawaal roti ka hai...
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