Friday, October 9, 2009

ये तो बेईमानी है भाई

नोबल पुरस्कारों की स्थापना करने वाले अल्फ्रेड नोबल ने 1895 में अपनी वसीयत में लिखा था कि नोबल शांति पुरस्कार “उसी व्यक्ति को दिया जाए जिसने देशों के बीच भाईचारा बढ़ाने के लिए, सेनाओं की समाप्ति या कमी के लिए शांति बनाने और बढ़ाने के लिएसबसे अधिक या सबसे अच्छा काम किया हो।”
तो भाई लोगों, अमेरिका के पहले ब्लैक प्रेजिडेंट को जब 2009 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया तो मुझे कुछ हैरानी हुई... वो इसलिए क्योंकि नोबल पुरकारों के लिए नामांकन की अंतिम तारीख एक फरवरी तक ओबामा को पद ग्रहण किये केवल 11 ही दिन हुए थे............... ओबामा ने 20 जनवरी 2009 को अमेरिकी राष्ट्रपति का पद ग्रहण किया था। यानी इस वर्ष एक फरवरी तक ओबामा ने बतौर अमेरिकी राष्ट्रपति जो कार्य किया था, उसके लिए उन्हें नोबल का शांति पुरस्कार दिया गया है। अब ये तो सरासर बेईमानी है....वर्ल्ड में शांति दूत के रूप में पहचाने जाने वाले गाँधी को जब नोबेल पुरस्कार कमिटी ने इस लायक नहीं समझा तो ओबामा ने विश्व शांति के लिए 11 दिन में ही ऐसा कौन सा तीर मार दिया... ये बात समझ से परे है... वैसे मैं ओबामा की बहुत बड़ी प्रशंसक हूँ.... उनके द्वारा दिए गए नारे में मुझे दुनिया बदलने का जज्बा दीखता है.... मगर इतनी जल्दी नोबेल मिलना मेरे ख्याल से उन पर अतिरिक्त दबाव का काम करेगा..... वो पहले ब्लैक हैं जो इस अमेरिका के सर्वोच्च पद पर पहुंचे मगर सिर्फ इसलिए तो उनको नोबेल से नहीं नवाजा जा सकता.....

1 comment:

  1. Definately Barak Hussain Obama is a charishmatic character, but in my openion the highest prize he has been awarded...is very unfortunate.It has two solid reasons...firstly he is not either easily acceptable in his country or in rest part of the world.Secondly he has to go miles away.He has yet to prove his vision for rest of the world that he is trying to establish peace nad harmony.That's all.

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