कई बार मोबाइल
पर मैसेज आते हैं कि चेजिंग रूम में कैमरे को कैसे पकड़ें। मैसेज पढ़ते
हैं, भूल जाते हैं। फिर कोई मामला सामने आता है तो हम चौकन्ने हो जाते हैं।
लेकिन केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने उन
चेतावनियों को याद रखा और एक बड़े मामले का भंडाफोड़ कर दिया। Good job
Madam Minister!!!
मुझे पूरी उम्मीद है कि इस मामले के साथ ही महिला सशक्तिकरण जैसे शब्दों पर जोर-शोर से बहस होने लगेगी। घरों में माएं अपनी बेटियों को सलाह देंगी। वाट्सऐप पर सेफ्टी मैसेज की बाढ़ आ जाएगी। फिर!!! फिर कुछ नहीं। इस मामले के आरोपियों का भी कुछ नहीं होगा। दो, पांच या दस साल बाद शायद कोई फैसला आ जाए (वो भी इसलिए क्योंकि मामला स्मृति ईरानी से जुड़ा है)। फिर लोग भूल जाएंगे, लड़कियां भूल जाएंगी। यूं ही नए कपड़े ट्राय करने के लिए ट्राय रूम में जाती रहेंगी। लड़कियां बेवकूफ होती हैं न इसलिए या फिर उन्हें मालूम है कि इन कैमरों से क्या डरना। यहां तो हर नजर में कैमरा है। सड़क पर चलते, काम करते, रेस्टोरेंट में खाना खाते, फिल्म देखते, हर वक्त कोई न कोई कैमरा उनकी फोटो उतार ही रहा होता है। क्या करें? कहां जाएं? इनकी तो कहीं शिकायत भी नहीं होती। ये तो हर वक्त का शोषण है। खुद को हर वक्त एक आवरण में लपेटे रखना पड़ता है। गरमी हो सर्दी हो, सांस नहीं आती पर इसकी शिकायत नहीं कर सकतीं।
(एक बात का और शुक्र है कि इस बार चेहरे को सपाट बनाने की कोशिश करतीं हुईं महिला आयोग वाली कोई चलताऊ बयान नहीं दे पाएंगी क्योंकि मामला मिनिस्टर का है)
मुझे पूरी उम्मीद है कि इस मामले के साथ ही महिला सशक्तिकरण जैसे शब्दों पर जोर-शोर से बहस होने लगेगी। घरों में माएं अपनी बेटियों को सलाह देंगी। वाट्सऐप पर सेफ्टी मैसेज की बाढ़ आ जाएगी। फिर!!! फिर कुछ नहीं। इस मामले के आरोपियों का भी कुछ नहीं होगा। दो, पांच या दस साल बाद शायद कोई फैसला आ जाए (वो भी इसलिए क्योंकि मामला स्मृति ईरानी से जुड़ा है)। फिर लोग भूल जाएंगे, लड़कियां भूल जाएंगी। यूं ही नए कपड़े ट्राय करने के लिए ट्राय रूम में जाती रहेंगी। लड़कियां बेवकूफ होती हैं न इसलिए या फिर उन्हें मालूम है कि इन कैमरों से क्या डरना। यहां तो हर नजर में कैमरा है। सड़क पर चलते, काम करते, रेस्टोरेंट में खाना खाते, फिल्म देखते, हर वक्त कोई न कोई कैमरा उनकी फोटो उतार ही रहा होता है। क्या करें? कहां जाएं? इनकी तो कहीं शिकायत भी नहीं होती। ये तो हर वक्त का शोषण है। खुद को हर वक्त एक आवरण में लपेटे रखना पड़ता है। गरमी हो सर्दी हो, सांस नहीं आती पर इसकी शिकायत नहीं कर सकतीं।
(एक बात का और शुक्र है कि इस बार चेहरे को सपाट बनाने की कोशिश करतीं हुईं महिला आयोग वाली कोई चलताऊ बयान नहीं दे पाएंगी क्योंकि मामला मिनिस्टर का है)
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