Sunday, October 11, 2009

यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है....

न्यूयॉर्क में गुरुदत्त पर फ़िल्मोत्सव

गुरुदत्त

इस हेडिंग पर मेरा ध्यान बहुत देर तक लगा रहा... आगे ख़बर कह रही थी की भारत के मशहूर फ़िल्मकार और अभिनेता गुरूदत्त की मौत के 45 साल बाद उनके वतन से हज़ारों मील दूर न्यूयॉर्क में उनको उनकी फ़िल्मों के सहारे याद किया जा रहा है।
गुरुदत्त...... ये वो नाम है जिसके बारे में कहा जाता है की वो अपने समय से बहुत आगे थे....मैंने गुरुदत्त के बारे में तब जाना जब मास्टर्स डिग्री करते समय उन पर एक प्रेजेंटेशन की.... इससे पहले उनके बारे में ज्यादा नही जानती थी... सुना था... पापा से और बड़ी बहिन से..... मगर जब प्रेजेंटेशन की तयारी करते समय गुरु के बारे में सर्च किया तो जाना की वे क्या थे..... महेश भट्ट ने उन्हें राज कपूर से बड़ा और महान फिल्मकार माना है.... मेरा भी यही मानना है की गुरु को वो रुतबा और सम्मान नही मिला जिसके वो हक़दार थे... उनकी फिल्मों में कमाल का जादू है जो आपको अपनी और खींचता है.... एक बार आप उन्हें देखते है तो उन पर से नजरें हटाना मुमकिन नहीं होता... हालांकि गुरु ने सिर्फ़ 39 साल की उमर में दुनिया को अलविदा कह दिया था लेकिन तब तक वे भारतीय सिनेमा को अपना वो अमूल्य योगदान दे गये जिसका कोई सानी नही है.... मूल रूप से नृत्य निर्देशक गुरु गंभीरता को जो नए आयाम दिए, वे अपने आप में एक मिसाल है.... प्यासा, कागज़ के फूल और साहिब बीवी और गुलाम..... ये तीनो ही फिल्में अमित छाप आप पर छोड़ती हैं.... प्यासा को तो टाईम्स ने 100 सर्वकालिक फिल्मों की सूची में जगह दी है.... यूँ तो कागज़ के फूल बॉक्स ऑफिस पर सफल नही हो पाई थी मगर आज उसे गुरु की सबसे बेहतरीन फ़िल्म माना जाता है.... साथ ही यह भी माना जाता है कि उन्होंने फ़िल्म निर्देशन में हिंदी फ़िल्मों को कई नए अंदाज़ दिए। फ़िल्म बनाने की तकनीक में उनके योगदान को भी याद किया जाता है..... उनको अपनी फ़िल्मों में क्लोज़ अप शॉट्स का बेहतरीन प्रयोग करके दूसरे फ़िल्मकारों को भी इसके प्रयोग का रास्ता दिखाने का श्रेय दिया जाता है.... यह बात भी कही जाती है कि अपनी फ़िल्मों को बनाने के दौरान अगर गुरूदत्त को कोई कमी या ख़ामी लगती थी तो बीच में ही वह प्रोजेक्ट ख़त्म कर देते थे...... यही वजह है कि उनकी बहुत सी फ़िल्में अधूरी भी मौजूद हैं.... कला के दीवाने लोग ऐसे ही होते थे...... 1964 में उनकी अचानक मौत से भारतीय सिनेमा ने एक बेहतरीन फ़िल्मकार खो दिया।

तुम दुनिया से चले गये गुरु लेकिन दीवानों के दिलों में तुम आज भी जिन्दा हो


गुरुदत्त

3 comments:

  1. guru datt...aisi shakhsiyat sadiyon mein ek baar avtatrit hoti hain.guru datt ne 35 film banaayee.har film juda.pyasa, sahab bibi aur ghulaam, kagaz ke phool...har vidha mein parangat...hameshaa 100% dene mein yaqeen rakhne wale...lekin kya hota hai jab koi niraashaa ke gart mein utarta chala jata hai.Guru da yahi na kar sake...lekin chhoti umr mein wo jo kar gaye...shayad hi koi kar paaye...Guru da ka sthaan hriday mein sadaa bana rahega...

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  2. सबसे पहले तो आपका शुक्रिया, जो आपने गुरुदत जी बारे बताया...असल में मुझे उनके बारे में ज्यादा मालूम न था
    ..बस यही सुना है बहुत अच्छे फिल्म मेकर थे. आपका ब्लॉग मुझे बेहद पसंद आया और आपने जो विषय चुने हैं वो काबिले तारीफ है...लिखती रहो...

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  3. Guru datt ki main bhi bahut badi prasansak rahi hun....aapne umda jankari di ....likhtin bhi achha hain .....swagat hai .....!!

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